Home » Archives for May 2013
HAPPY MOTHER'S DAY
__एक कहानी माँ के नाम__
'माँ, तुम भी ना! बहुत सवाल करती हो? मैं और सुमि तुम्हें
कितनी बार तो बता चुके हैं। एक बार ठीक से समझ लिया करो ना!
पच्चीसों बार पूछ चुकी हो, रामी बुआ के बेटे
की शादी का कार्यक्रम। समय पर आपको ले चलेंगे ना!'
भुनभुनाता हुआ बेटा बोले जा रहा था, ''अभी मुझे ऑफिस में देर
हो रही है। सुमि! माँ को सारे कार्यक्रम जरा एक बार और बता देना।
अब बार-बार मत पूछना माँ! कहते हुए बेटा बैग उठाकर निकल गया।
माँ की आँखें भर आई। आजकल कोई बातयाद ही नहीं रहती, पर फिर
भी बरसों पुरानी बातें याद थीं। यहीमुन्ना दिन में
सौ मर्तबा पूछता रहता था- माँ, बताओ ना! तितली का रंग हाथ में
क्यों लग गया? क्या वो पीले रंग से होली खेल कर आई है? माँ, हम
मंदिर जाते हैं तो भगवान बोलते क्यों नहीं? भगवान सुनते कैसे हैं?
बताओ ना माँ?
आँखें भर आने से माँ की आँखें धुँधलाने लगी थी।
HAPPY MOTHER'S DAY
HAPPY MOTHER'S DAY
जब आँख खुली तो अम्मा की गोदी का एक सहारा था
उसका नन्हा-सा आँचल मुझको भूमण्डल से प्यारा था
उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों-सा खिलता हैं
उसके स्तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता हैं
हाथों से बालों को नोचा, पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस माँ ने पुचकारा हमको जी भर के प्यार किया
मैं उसका राजा बेटा हूँ वो आँख का तारा कहती हैं
मैं बनूँ बुढ़ापे मेंउसका बस एक सहारा कहती हैं
उंगली को पकड़ चलाया था पढ़ने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज अन्तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्नों का वो फौरन जवाब बन जाती हैं
मेरी राहों के काँटे चुन वो ख़ुद ग़ुलाब बन जाती हैं
माँ ही हैं जो ख़ुद भूखी रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्तर देकर ख़ुद गीले में सो जाती थी
माँ ही हैं जिसने होठों को भाषा सिखलाईथी
मेरी नींदों के लिए रात भर उसने लोरी गाई थी
माँ ही हैं जिसने हर ग़लती पर डाँटा-समझाया था
बच जाऊँ बुरी नज़र से काला टीका सदा लगाया था
माँ की ममता को देख मौत भी आगे से हट जाती है
गर माँ अपमानित होती, धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर बेचारी माँ क्या पाती है
रूखा-सूखा खा लेती है,पानी पीकर सो जाती है
जो माँ जैसी देवी घर के मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्य भले कर लें इंसान नहीं बन सकते हैं
माँ जिसको भी जल दे दे वो पौधा संदल बन जाता है
माँ के चरणों को छूकर पानी गंगाजल बन जाता है
माँ के आँचल ने युगों-युगों से भगवानों को पाला है
माँ के चरणों में जन्नत है गिरिजाघर औरशिवाला है
हिमगिरि जैसी ऊँचाई है, सागर जैसी गहराई है
दुनिया में जितनी ख़ुशबू है माँ के आँचल से आई है
माँ कबिरा की साखी जैसी, माँ तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली ख़ुसरो की अमर रुबाई है
माँ आंगन की तुलसी जैसी पावन बरगद की छाया है
माँ वेद ऋचाओं की गरिमा, माँ महाकाव्यकी काया है
सारे तीरथ के पुण्य जहाँ, मैं उन चरणों में लेटा हूँ
जिनके कोई सन्तान नहीं, मैं उन माँओं का बेटा हूँ
हर घर में माँ की पूजा हो ऐसा संकल्प उठाताहूँ
मैं दुनिया की हर माँ के चरणों में ये शीश झुकाता हूँ:
राजारामजी की आरती
समस्त आंजना(पटेल) समाज की ओर से हार्दिक बधाई
आपने जो समाज को उल्लास रुपी तोहफा दिया उसके लिए आपका हार्दिक आभार भगवान करे आप इसी तरह समाज का और अपने परिवारजनों का नाम रोशन करते रहे इसी आशा के साथ आंजना(पटेल) युवक संघ एंव आंजना(पटेल) समाज रायपुर की ओर से भी हार्दिक बधाई |
आंजना समाज सांचोर का प्रतिभा सम्मान समारोह संपन्न
सम्मानित होते हुए भरत चौधरी टीटोप |
श्री राजारामजी महाराज जीवन परिचय
माता-पिता के बाद राजारामजी बड़े भाई श्री रगुनाथारामजी नंगे सन्यासियों की जमात में चले गए और आप कुछ समय तक राजारामजी अपने चाचा श्री थानारामजी व कुछ समय तक अपने मामा श्री मादारामजी भूरिया, गाँव धान्धिया के पास रहने लगे | बाद में शिकारपुरा के रबारियो सांडिया, रोटी कपडे के बदले एक साल तक चराई और गाँव की गांये भी बिना हाध में लाठी लिए नंगे पाँव २ साल तक राम रटते चराई |
गाँव की गवाली छोड़ने के बाद राजारामजी ने गाँव के ठाकुर के घर १२ रोटियां प्रतिदिन व कपड़ो के बदले हाली का काम संभाल लिया | इस समय राजारामजी के होंठ केवल इश्वर के नाम रटने में ही हिला करते थे | श्री राजारामजी अपने भोजन का आधा भाग नियमित रूप से कुत्तों को डालते थे | जिसकी शिकायत ठाकुर से होने पर १२ रोटियों के स्थान पर ६ रोटिया ही देने लगे, फिर ६ मे से ३ रोटिया महाराज, कुत्तों को डालने लगे, तो ३ में से 1 रोटी ही प्रतिदिन भेजना शुरू कर दिया, लेकिन फिर भी भगवन अपने खाने का आधा हिस्सा कुत्तों को डालते थे |
इस प्रकार की ईश्वरीय भक्ति और दानशील स्वभाव से प्रभावित होकर देव भारती नाम के एक पहुंचवान बाबाजी ने एक दिन श्री राजारामजी को अपना सच्चा सेवक समझकर अपने पास बुलाया और अपनी रिद्धि-सिद्धि श्री राजारामजी को देकर उन बाबाजी ने जीवित समाधी ले ली |
उस दिन ठाकुर ने विचार किया की राजारामजी को वास्तव में एक रोटी प्रतिदिन कम ही हैं और किसी भी व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ये काफी नहीं हैं अतः ठाकुर ने भोजन की मात्रा फिर से निश्चित करने के उद्धेश्य से उन्हें अपने घर बुलाया |
शाम के समय श्री राजाराम जी इश्वर का नाम लेकर ठाकुर के यहाँ भोजन करने गए | श्री राजारामजी ने बातों ही बातों में ७.५ किलो आटे की रोटिया आरोग ली पर आपको भूख मिटने का आभास ही नहीं हुआ | ठाकुर और उनकी की पत्नी यह देख अचरज करने लगे | उसी दिन शाम से राजारामजी हाली का काम ठाकुर को सोंपकर तालाब पर जोगमाया के मंदिर में आकर राम नाम रटने लगे | उधर गाँव के लोगो को चमत्कार का समाचार मिलने पर उनके दर्शनों के लिए ताँता बंध गया |
दुसरे दिन राजारामजी ने द्वारिका का तीर्थ करने का विचार किया और दंडवत करते हुए द्वारिका रवाना हो गए | ५ दिनों में शिकारपुरा से पारलू पहुंचे और एक पीपल के पेड़ के नीचे हजारो नर-नारियो के बिच अपना आसन जमाया और उनके बिच से एकाएक इस प्रकार से गायब हुए की किसी को पता ही नहीं लगा | श्री राजारामजी १० माह की द्वारिका तीर्थ यात्रा करके शिकारपुरा में जोगमाया के मंदिर में प्रकट हुए और अद्भुत चमत्कारी बाते करने लगे, जिन पर विश्वास कर लोग उनकी पूजा करने लग गए | राजारामजी को लोग जब अधिक परेशान करने लग गये तो ६ मास का मोन रख लिया | जब राजारामजी ने शिवरात्री के दिन मोन खोला तक लगभग ८०००० वहां उपस्थित लोगो को व्याखान दिया और अनेक चमत्कार बता
महादेवजी के उपासक होने के कारण राजारामजी ने शिकारपुरा में तालाब पर एक महादेवजी का मंदिर बनवाया, जिसकी प्रतिष्ठा करते समय अनेक भाविको व साधुओ का सत्कार करने के लिए प्रसाद के स्वरूप नाना प्रकार के पकवान बनाये जिसमे २५० क्विंटल घी खर्च किया गया | उस मंदिर के बन जाने के बाद श्री राजारामजी के बड़े भाई श्री रगुनाथारामजी जमात से पधार गये और दो साल साथ तपस्या करने के बाद श्री रगुनाथारामजी ने समाधी ले ली | बड़े भाई की समाधी के बाद राजारामजी ने अपने स्वयं के रहने के लिए एक बगेची बनाई, जिसको आजकल श्री राजारामजी आश्रम के नाम से पुकारा जाता हैं |
श्री राजारामजी महाराज ने संसारियों को अज्ञानता से ज्ञानता की ओर लाने के उद्धेश्य से बच्चों को पढाने-लिखाने पर जोर दिया | जाती, धर्म, रंग आदि भेदों को दूर करने के लिए समय-समय पर अपने व्याखान दिये | बाल विवाह, कन्या विक्रय, मृत्यु भोज जैसी बुराईयों का अंत करने का अथक प्रयत्न किया | राजारामजी ने लोगो को नशीली वस्तुओ के सेवन से दूर रहने, शोषण विहीन होकर धर्मात्न्माओ की तरह समाज में रहने का उपदेश दिया |
-
ॐ जय गुरुदेव हरे प्रभु जय गुरुदेव हरे। अधम उधारन कारण भक्ति बधावन कारण संतन रूप धरे । ॐ जय गुरुदेव हरे प्रभु जय गुरुदेव हरे। श...
-
श्री राजारामजी महाराज का जन्म चैत्र शुल्क ९ संवत १९३९ को, जोधपुर तहसील के गाँव शिकारपुरा में, अंजना कलबी वंश की सिह खांप में एक गरीब कि...
-
CAPS ka yah form Turant Bhar kar form ke upar likhi E-mail Id par Bheje......ya fir meri E-mail id :- shankar.anjana@ymail.com par bhejane...
-
आपकी ईस महान उपलब्धी पर समस्त आंजना(पटेल) समाज की ओर से हार्दिक बधाई ! आपने जो समाज को उल्लास रुपी तोहफा दिया उसके लिए आपका हार्दिक ...
-
आंजणा समाज का प्रतिभा सम्मान समारोह, 28 प्रतिभाओं को किया गया सम्मानित ...
-
सांचौर। जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने गुजरात में लोकसभा एवं विधानसभा की सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत पर खुशी जाहि...
-
संत श्री सुजा राम जी की 2nd पुण्य तिथि मनाई -: श्री सुजाराम जी महाराज की 2 पुण्यतिथि मनाई :- रायपुर, ...
-
हार्दिक बधाई और उज्जवल भविष्य कि शुभकामनाऐ राजस्थान विधानसभा चुनावो में भारतीय जनता पार्टी के सभी प्रत्याक्षियों को मेरी और ...
Labels
- Aarti (1)
- CAPS (1)
- Social News (2)
- कविताए..... (1)
- प्रतिभा सम्मान समारोह (1)
- संत श्री सुजारामजी पुण्य तिथि (1)
- हार्दिक बधाई संदेश (2)